उत्तर प्रदेश में प्राथमिक स्कूलों का विलय: पूरा सच, सरकारी आदेश, कारण और विवाद
दिनांक: 2 जुलाई 2025
लेखक: StudyMates4U टीम
🔷 प्रस्तावना
उत्तर प्रदेश सरकार ने जून 2025 में एक बड़ा निर्णय लिया, जिसके तहत ऐसे सभी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों का विलय (Merger) किया जाएगा, जहाँ छात्रों की संख्या बहुत कम है। इस निर्णय का उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता सुधारना और संसाधनों का बेहतर उपयोग करना बताया गया है। लेकिन इस फैसले के बाद शिक्षकों, अभिभावकों और विपक्षी दलों की तीखी प्रतिक्रियाएँ भी सामने आई हैं।
इस पोस्ट में हम आपको बताएंगे:
क्या है स्कूल विलय योजना?
कौन-कौन से स्कूल इसमें शामिल हैं?
सरकारी आदेश की पूरी जानकारी
फायदे और नुकसान
विरोध और राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
📜 क्या है स्कूल विलय योजना?
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 16 जून 2025 को एक शासनादेश (Government Order) जारी किया गया, जिसमें कहा गया कि:
“ऐसे प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय जिनमें विद्यार्थियों की संख्या 30 या 50 से कम है, उनका निकटवर्ती बड़े विद्यालयों से विलय किया जाएगा।”
इस आदेश के अनुसार:
लखनऊ ज़िले में 82 स्कूलों का विलय 1 जुलाई 2025 से लागू हो चुका है।
प्रयागराज ज़िले में 233 स्कूलों की पहचान की जा चुकी है, जहाँ 50 से कम छात्र हैं।
अन्य ज़िलों में भी प्रक्रिया तेज़ी से चल रही है।
📂 सरकारी आदेश (GO) की मुख्य बातें
बिंदु | विवरण |
---|---|
आदेश संख्या | 68‑5099/138/2023‑अनुभाग‑5 |
आदेश तिथि | 16 जून 2025 |
लागू तिथि | 1 जुलाई 2025 |
लक्ष्य | छात्रों की कम संख्या वाले स्कूलों को पास के “युग्मन विद्यालय” से जोड़ना |
कार्यवाही | BSA और SMC द्वारा स्कूल चयन और अभिभावकों से सहमति |
🎯 सरकार का उद्देश्य
गुणवत्ता सुधार: बेहतर शैक्षणिक वातावरण, स्मार्ट क्लास, कंप्यूटर लैब, बाल वाटिका जैसी सुविधाओं का एकीकरण।
शिक्षकों का समुचित उपयोग: जहाँ एक शिक्षक पर कई कक्षाओं का बोझ था, वहाँ अब PTR (Pupil Teacher Ratio) संतुलित होगा।
बजट बचत: भवनों के रखरखाव और अधूरी कक्षाओं पर व्यय कम होगा।
📉 चुनौतियाँ और नुकसान
दूरी की समस्या: बच्चों को अब 2–3 किलोमीटर दूर दूसरे स्कूलों में भेजा जाएगा।
सुरक्षा चिंता: छोटे बच्चों को दूर ले जाना माता-पिता के लिए चिंता का विषय है।
भवनों का उपयोग: जिन स्कूलों का विलय हो गया, उनके भवनों का क्या होगा – यह अभी स्पष्ट नहीं है।
ड्रॉपआउट दर: कुछ बच्चों के स्कूल छोड़ने की संभावना भी जताई जा रही है।
🔥 विरोध और विवाद
👉 अभिभावकों का विरोध
कई गाँवों में अभिभावकों ने कहा कि उनके बच्चों को अब बहुत दूर भेजा जा रहा है।
कुछ स्थानों पर विरोध में ज्ञापन सौंपे गए और स्कूल बंद किए गए।
👉 शिक्षकों की नाराजगी
शिक्षकों का कहना है कि बिना पर्याप्त तैयारी के यह निर्णय लिया गया है।
कई स्कूलों में अभी तक भवन या पेयजल जैसी मूलभूत सुविधाएँ भी नहीं हैं।
👉 राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
बसपा प्रमुख मायावती ने इसे “गरीब विरोधी” कदम बताते हुए तत्काल वापस लेने की मांग की।
सपा सांसद राजीव राय ने सरकार को “शिक्षा विरोधी” करार दिया।
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने विधानसभा और मीडिया में इस विषय को ज़ोरशोर से उठाया।
⚖️ कोर्ट में चुनौती
लखनऊ हाईकोर्ट में इस आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाएँ दायर की गई हैं। कोर्ट ने इस विषय पर 3 जुलाई 2025 को सुनवाई की तारीख तय की है।
✅ निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश सरकार का यह फैसला शिक्षा व्यवस्था को केंद्र में रखकर लिया गया है, लेकिन इसकी भूमि पर लागू करने की प्रक्रिया में कई कमियाँ और प्रशासनिक चूकें उजागर हो रही हैं। अगर सरकार इन समस्याओं का समाधान कर लेती है, तो यह योजना ग्रामीण शिक्षा की दिशा में क्रांतिकारी साबित हो सकती है।
📌 आपके विचार?
क्या आपको लगता है कि स्कूलों का विलय सही कदम है?
क्या इससे बच्चों की पढ़ाई बेहतर होगी या समस्याएँ बढ़ेंगी?
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